शतावरी (वैज्ञानिक नाम: Asparagus racemosus) को आयुर्वेद में “शतवारी” या “शतमूली” भी कहते हैं। इसका संस्कृत नाम ही इसका महत्व बताता है – “शत आवरि” यानी जिसके सौ पति हों – अर्थात यह महिलाओं को इतनी शक्ति और सौंदर्य देती है मानो सौ पतियों का सुख एक साथ मिल जाए। भारत के लगभग सभी राज्यों में यह जंगलों और पहाड़ियों में प्राकृतिक रूप से उगती है और हजारों वर्षों से स्त्री रोग, दूध बढ़ाने, पाचन तंत्र और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए इस्तेमाल होती रही है।
शतावरी में पाए जाने वाले मुख्य औषधीय तत्व
- शतावरिन (Shatavarin I-IV) – प्राकृतिक फाइटोएस्ट्रोजन
- सैपोनिन्स, पॉलीसैकेराइड्स और म्यूसिलेज – पेट की झिल्ली को सुरक्षा कवच देते हैं
- फ्लेवोनॉइड्स, एल्कलॉइड्स और एंटीऑक्सीडेंट
- कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन जैसे खनिज
शतावरी किन-किन रोगों में लाभकारी है?
महिलाओं के हार्मोन और प्रजनन स्वास्थ्य में
- पीसीओएस, पीसीओडी और अनियमित मासिक धर्म में बहुत प्रभावी
- मासिक धर्म में ऐठन, चिड़चिड़ापन, स्तन में भारीपन कम करती है
- रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण – गर्मी की लहरें, रात में पसीना, नींद न आना, योनि शुष्कता में राहत
- गर्भधारण की तैयारी कर रही महिलाओं में अंडाणु की गुणवत्ता और गर्भाशय की परत को मजबूत करती है
दूध बढ़ाने की सर्वोत्तम औषधि (गैलाक्टागॉग)
प्रसव के बाद दूसरी सप्ताह से ही शतावरी देने पर ४-७ दिनों में माँ का दूध स्पष्ट रूप से बढ़ जाता है। यह बच्चे के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है।
पुरुषों के लिए भी वरदान
- शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और गुणवत्ता बढ़ाती है
- शीघ्रपतन और तनाव के कारण होने वाली नपुंसकता में लाभ
- अश्वगंधा के साथ मिलाकर पुरुष बांझपन में दिया जाता है
पेट के रोग
- अल्सर, अम्लपित्त (एसिडिटी), गैस्ट्राइटिस, GERD में चमत्कारिक लाभ
- पेट की आंतरिक झिल्ली पर प्राकृतिक कोटिंग बनाती है
- कब्ज़ के साथ आने वाली जलन में बहुत अच्छा काम करती है
रोग प्रतिरोधक क्षमता और एंटी-एजिंग
बार-बार बीमार पड़ने वालों, कमजोर इम्यूनिटी और थकान में शतावरी रसायन के रूप में दी जाती है।
अन्य लाभ
- हल्का मूत्रकरी (सूजन कम करती है)
- त्वचा में निखार और बालों का झड़ना कम करती है
- तनाव और चिंता को कम करती है (माइल्ड एडाप्टोजन)
शतावरी का सही उपयोग और मात्रा
उपलब्ध रूप
- शतावरी चूर्ण (पाउडर)
- शतावरी घृत
- शतावरी कैप्सूल / टैबलेट (Himalaya, Patanjali, Zandu, Dabur)
- शतावरी कल्प / ग्रेन्यूल्स
सामान्य मात्रा (वयस्कों के लिए)
- चूर्ण: ३-६ ग्राम प्रतिदिन (१ छोटा चम्मच)
- कैप्सूल: ५०० मिलीग्राम – १-२ कैप्सूल दिन में दो बार
- शतावरी घृत: १०-२० ग्राम गर्म दूध के साथ
- काढ़ा: १०-१५ ग्राम जड़ को ४०० मिली पानी में उबालकर १०० मिली रहने तक, दिन में दो बार
सर्वोत्तम सेवन विधि
- गर्म दूध + शतावरी चूर्ण + थोड़ी मिश्री → दूध बढ़ाने और हार्मोन के लिए सबसे अच्छा
- खाली पेट सुबह और रात को सोने से पहले
- पेट की बीमारी में भोजन से ३० मिनट पहले
अवधि
३ महीने तक लगातार ले सकते हैं, फिर २-३ सप्ताह का अंतराल दें।
किन लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए? (मतभेद)
- एस्ट्रोजन-निर्भर कैंसर (स्तन कैंसर ER+, एंडोमेट्रियल कैंसर) वाली महिलाएं पूरी तरह बचें या डॉक्टर की देखरेख में ही लें
- बहुत बड़े मायोमा या एंडोमेट्रियोसिस जिनमें एस्ट्रोजन बढ़ना नुकसानदायक हो
- गर्भावस्था के पहले ३ महीने – बिना चिकित्सक सलाह के न लें
- जिन्हें दस्त की प्रधानता वाली IBS हो (शतावरी ठंडी है, दस्त बढ़ा सकती है)
- लिली परिवार (प्याज, लहसुन, शतावरी सब्जी) से एलर्जी वाले लोग
संभावित दुष्प्रभाव और एलर्जी
दुष्प्रभाव बहुत कम और हल्के होते हैं:
- अधिक मात्रा लेने पर पेट में भारीपन या गैस
- बार-बार पेशाब आना और पेशाब में विशेष गंध
- बहुत दुर्लभ मामलों में त्वचा पर खुजली या चकत्ते
दवाओं के साथ अंतःक्रिया
- गर्भनिरोधक गोलियां या HRT ले रही महिलाओं में एस्ट्रोजन का प्रभाव बढ़ सकता है
- मूत्रवर्धक दवाएं (फ्यूरोसेमाइड) के साथ पोटैशियम की कमी का खतरा
- डायबिटीज की दवा लेने वालों में शुगर और कम हो सकता है
खरीदते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- हमेशा १००% शुद्ध शतावरी जड़ का चूर्ण लें
- पैकेज पर “Asparagus racemosus root powder” लिखा होना चाहिए
- प्रमाणित ऑर्गेनिक या AYUSH प्रमाणित ब्रांड चुनें
- खुशबू मीठी और रंग सफेद-हल्का पीला होना चाहिए – काला या बदबूदार माल न लें
निष्कर्ष
शतावरी सच में कुदरत का दिया एक अनोखा तोहफ़ा है जो प्यूबर्टी से लेकर मेनोपॉज़ तक हर औरत का साथ दे सकता है। यह न सिर्फ़ हॉर्मोन्स को बैलेंस करता है बल्कि डाइजेशन, इम्यूनिटी और पूरी खूबसूरती को भी बेहतर बनाता है। पुरुषों के लिए, यह स्पर्म क्वालिटी और सेक्सुअल क्षमता के लिए भी एक बेहतरीन उपाय है।
अगर सही डोज़ और सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह पूरी तरह से सेफ़ और असरदार है। लेकिन, अगर आपको कोई गंभीर बीमारी है या आप कोई दवा ले रहे हैं, तो पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर या गायनेकोलॉजिस्ट से ज़रूर सलाह लें।
कुदरत ने आपको यह कीमती जड़ी-बूटी आपकी सेहत और खूबसूरती की रक्षा के लिए दी है।
संदर्भ स्रोत
- Ministry of AYUSH, Government of India (2021). Ayurvedic Pharmacopoeia of India, Part I, Volume II – Shatavari monograph.
https://ayush.gov.in/sites/default/files/API-Part-I-Vol-II.pdf - National Medicinal Plants Board – Asparagus racemosus (Shatavari).
https://nmpb.nic.in/content/shatavari-asparagus-racemosus-willd - Sharma PV. Dravyaguna Vijnana Vol. 2, Chaukhamba Bharati Academy, Varanasi, 2019.
- Alok S et al. (2013). “Plant profile, phytochemistry and pharmacology of Asparagus racemosus: A review”. Asian Pacific Journal of Tropical Disease.
https://doi.org/10.1016/S2222-1808(13)60049-3
नोट: इस लेख में दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। कोई भी उपचार शुरू करने से पहले, खासकर हर्बल उपचार या जीवनशैली में बदलाव करने से पहले, हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।




