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कैस्कारा सग्राडा (Rhamnus purshiana) – अमेरिकी आदिवासियों की “पवित्र छाल”: सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक रेचक – कब्ज़ का रामबाण, सही मात्रा, पूरी सावधानियाँ और दुष्प्रभाव

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कैस्कारा सग्राडा (Rhamnus purshiana या Frangula purshiana) उत्तर-पश्चिमी अमेरिका और कनाडा के घने जंगलों में उगने वाले ६-१२ मीटर ऊँचे पेड़ की सूखी और कम से कम १ साल पुरानी छाल है। अमेरिकी रेड इंडियन (क्विनॉल्ट, माकाह, क्लालम जनजातियाँ) इसे “पवित्र छाल” मानते थे और सदियों से सबसे गंभीर कब्ज़ और धार्मिक उपवास से पहले आंत साफ करने के लिए इस्तेमाल करते थे। स्पेनिश लोगों ने इसे “cáscara sagrada” = “पवित्र छाल” नाम दिया।

१८७७ से २००२ तक यह अमेरिकी फार्माकोपिया (USP) में आधिकारिक रेचक दवा थी। आज भी अमेरिका, यूरोप और कई देशों में सप्लीमेंट के रूप में बहुत लोकप्रिय है।

कैस्कारा सग्राडा किन बीमारियों में काम आता है

परम्परागत उपयोग और आधुनिक शोध के आधार पर:

  • पुरानी कब्ज़ (खासकर आंत की गति कम होने से)
  • प्रसव या ऑपरेशन के बाद की कब्ज़
  • बिस्तर पर पड़े बुजुर्गों की कब्ज़
  • कोलोनोस्कोपी या पेट का एक्स-रे कराने से पहले आंत पूरी तरह साफ करना
  • बाहरी बवासीर और गुदाद्वार में दरार (मल त्याग में दर्द कम होता है)
  • कुछ मामलों में IBS-C (कब्ज़ प्रधान इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम)

कार्य-विधि: पुरानी छाल में ८-१० % एन्थ्राक्विनोन ग्लाइकोसाइड्स (कैस्करोसाइड A, B, C, D, बार्बालोइन, इमोडिन) होते हैं। बड़ी आंत में पहुँच कर बैक्टीरिया इन्हें सक्रिय रूप में बदलते हैं → आंत की मांसपेशियों को जोरदार उत्तेजना → पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का स्राव बढ़ता है → ६-१२ घंटे में नरम मल त्याग।

उपयोग की सबसे सुरक्षित विधियाँ

चाय (परम्परागत तरीका)

  • १–२ ग्राम केवल १ साल पुरानी छाल (aged bark)
  • १५० मिली उबलते पानी में १०-१५ मिनट ढककर रखें, छान लें
  • सिर्फ रात को सोने से पहले १ कप। ६-१२ घंटे में असर।

स्टैंडर्ड टैबलेट/कैप्सूल

  • २००–४०० मिलीग्राम पुरानी छाल के बराबर (२०–३० मिलीग्राम कुल कैस्करोसाइड)
  • १ टैबलेट रात को, अधिकतम ७-१० दिन लगातार।

टिंक्चर

  • २–५ मिली गुनगुने पानी में मिलाकर रात को।

अधिकतम अवधि: सिर्फ ७-१० दिन। फिर कम से कम २-३ हफ्ते का गैप अनिवार्य।

पूर्ण प्रतिबंध और गंभीर चेतावनी

  • गर्भावस्था और स्तनपान: बिल्कुल वर्जित (गर्भाशय में संकुचन और गर्भपात का खतरा)
  • १२ साल से कम बच्चे: पूरी तरह प्रतिबंधित
  • आंत में रुकावट, अपेंडिसाइटिस, क्रोहन रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस, पेट दर्द जिसका कारण पता न हो → आंत फटने का खतरा
  • पहले से डिहाइड्रेशन या पोटैशियम कम हो
  • १० दिन से ज़्यादा लगातार कभी न लें (आंत हमेशा के लिए “आलसी” हो सकती है)
  • मूत्रवर्धक (furosemide, hydrochlorothiazide), डिगॉक्सिन, कॉर्टिकोस्टेरॉइड ले रहे हों → पोटैशियम बहुत तेज़ी से कम हो सकता है

संभावित दुष्प्रभाव और एलर्जी

सही डोज़ और छोटी अवधि में:

  • पेट में मरोड़ या दस्त (अगर डोज़ ज़्यादा हो)
  • पेशाब का रंग पीला-भूरा या लाल होना (नॉर्मल, एन्थ्राक्विनोन की वजह से)
  • ५-७ दिन से ज़्यादा लेने पर हल्का पोटैशियम लॉस

लम्बे समय तक गलत इस्तेमाल करने पर:

  • आंत हमेशा के लिए रेचक पर निर्भर हो जाना
  • गंभीर पोटैशियम की कमी → दिल की धड़कन अनियमित
  • बहुत दुर्लभ: लिवर डैमेज (महीनों तक ओवरडोज़ में दर्ज)

एलर्जी (अत्यंत दुर्लभ):

  • खुजली, लाल चकत्ते, साँस लेने में तकलीफ → तुरंत बंद करें और अस्पताल जाएँ

दवाओं के साथ अंतर्क्रिया

  • मूत्रवर्धक दवाओं के साथ पोटैशियम बहुत तेज़ी से निकलता है
  • डिगॉक्सिन का ज़हर बढ़ सकता है
  • साथ में ली गई दूसरी दवाओं का अवशोषण कम हो जाता है (कम से कम २ घंटे का गैप रखें)

अच्छी क्वालिटी की कैस्कारा सग्राडा कैसे पहचानें

  • केवल १ साल पुरानी छाल ही सुरक्षित है (ताजी छाल में एन्थ्रोन होते हैं जो उल्टी-दस्त भयंकर करते हैं)
  • गहरी लाल-भूरी रंगत, खास खुशबू
  • पैकेट पर स्पष्ट लिखा हो “aged bark” या “cortex maturata 1 anno”
  • नमी और धूप से बचाकर रखें; २४-३६ महीने तक गुण रहते हैं

निष्कर्ष

कैस्कारा सग्राडा प्रकृति की दी हुई सबसे तेज़ और प्रभावी रेचक औषधि है। ७-१० दिन तक सही डोज़ में लेने पर सबसे पुरानी कब्ज़ भी साफ हो जाती है। लेकिन यह बहुत शक्तिशाली और खतरनाक भी है – गर्भवती महिलाएँ, बच्चे, आंत के रोगी बिल्कुल न लें। लम्बे समय तक लेने से आंत हमेशा के लिए खराब हो सकती है। सिर्फ कभी-कभार, बहुत ज़रूरत पड़ने पर, और हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस्तेमाल करें।

सन्दर्भ

  1. American Botanical Council – Cascara Sagrada Monograph
    https://www.herbalgram.org/resources/herbalgram/herbs/cascara-sagrada/
  2. Brinker, Francis. Herb Contraindications and Drug Interactions, 4th ed. (2010)
  3. European Medicines Agency – Assessment report on Rhamnus purshiana DC., cortex (2016)
    https://www.ema.europa.eu/en/documents/herbal-report/final-assessment-report-rhamnus-purshiana-dc-cortex_en.pdf

नोट: इस लेख में दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। कोई भी उपचार शुरू करने से पहले, खासकर हर्बल उपचार या जीवनशैली में बदलाव करने से पहले, हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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