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स्ट्रोक: कारण, लक्षण और रोकथाम

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स्ट्रोक, जिसे मस्तिष्क आघात भी कहा जाता है, एक ऐसी चिकित्सा आपात स्थिति है जो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह के रुकने या बाधित होने के कारण होती है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बंद हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं या मर सकती हैं। स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है जो स्थायी अक्षमता या मृत्यु का कारण बन सकती है। भारत में, स्ट्रोक मृत्यु और अक्षमता के प्रमुख कारणों में से एक है, और इसे समझना और इससे बचाव करना हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

स्ट्रोक क्या है?

स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं:

  • इस्केमिक स्ट्रोक: यह सबसे आम प्रकार है, जो मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में रुकावट (जैसे थक्का) के कारण होता है। यह लगभग 80% स्ट्रोक मामलों का कारण है।
  • हेमोरेजिक स्ट्रोक: यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे रक्तस्राव होता है।

इसके अलावा, एक तीसरी स्थिति जिसे ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक (TIA) कहा जाता है, को “मिनी-स्ट्रोक” भी माना जाता है। यह अस्थायी रक्त प्रवाह की कमी के कारण होता है और आमतौर पर कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक रहता है। हालांकि यह अपने आप ठीक हो सकता है, लेकिन यह भविष्य में स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा देता है।

स्ट्रोक के कारण

स्ट्रोक के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन): यह स्ट्रोक का सबसे बड़ा जोखिम कारक है। उच्च रक्तचाप रक्त वाहिकाओं को कमजोर कर सकता है।
  • मधुमेह: अनियंत्रित मधुमेह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है।
  • धूम्रपान: तंबाकू का सेवन रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है और थक्के बनने की संभावना को बढ़ाता है।
  • मोटापा और निष्क्रिय जीवनशैली: अधिक वजन और व्यायाम की कमी रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती है।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल: यह रक्त वाहिकाओं में प्लाक जमा होने का कारण बनता है, जो रक्त प्रवाह को रोक सकता है।
  • हृदय रोग: अनियमित हृदय गति (एट्रियल फाइब्रिलेशन) या अन्य हृदय समस्याएं स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं।
  • आनुवंशिक कारक: परिवार में स्ट्रोक का इतिहास होने पर जोखिम बढ़ जाता है।
  • उम्र और लिंग: 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और पुरुषों में स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है, हालांकि महिलाएं भी जोखिम में होती हैं।

स्ट्रोक के लक्षण

स्ट्रोक के लक्षण अचानक प्रकट होते हैं और इन्हें पहचानना महत्वपूर्ण है। भारत में लोग अक्सर इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे इलाज में देरी होती है। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • चेहरे का लटकना: चेहरा, विशेष रूप से मुंह का एक हिस्सा, लटक सकता है।
  • हाथ-पैर में कमजोरी: एक हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नता महसूस हो सकती है।
  • बोलने में कठिनाई: बोलने में असमर्थता या अस्पष्ट बोलना।
  • दृष्टि समस्याएं: एक या दोनों आंखों में धुंधला दिखना या दृष्टि हानि।
  • सिरदर्द: अचानक तेज सिरदर्द, खासकर हेमोरेजिक स्ट्रोक में।
  • चक्कर आना या संतुलन खोना: चलने में कठिनाई या चक्कर आना।

FAST तकनीक का उपयोग करके स्ट्रोक के लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है:

  • F (Face): चेहरा लटक रहा है?
  • A (Arms): क्या एक हाथ कमजोर है?
  • S (Speech): बोलने में दिक्कत?
  • T (Time): समय पर चिकित्सा सहायता लें।

स्ट्रोक से बचाव

स्ट्रोक को रोकने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित उपाय मदद कर सकते हैं:

  • रक्तचाप नियंत्रित करें: नियमित रूप से रक्तचाप की जांच करें और डॉक्टर की सलाह से दवाएं लें।
  • स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले खाद्य पदार्थ खाएं। नमक और तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।
  • व्यायाम: सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम व्यायाम करें, जैसे तेज चलना या योग।
  • धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों से बचें।
  • वजन नियंत्रण: स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • मधुमेह प्रबंधन: रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखें।
  • शराब सीमित करें: अत्यधिक शराब पीने से बचें।
  • नियमित जांच: कोलेस्ट्रॉल, रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य की नियमित जांच करवाएं।

निष्कर्ष

स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है जिसे समय पर पहचान और उचित जीवनशैली अपनाकर रोका जा सकता है। भारत में, जहां हृदय रोग और मधुमेह के मामले बढ़ रहे हैं, स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए जागरूकता और सक्रियता महत्वपूर्ण है। यदि आपको या आपके किसी परिचित को स्ट्रोक के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में चिकित्सा सहायता लें। समय पर इलाज जीवन बचा सकता है।

नोट: इस लेख में दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। कोई भी उपचार शुरू करने से पहले, खासकर हर्बल उपचार या जीवनशैली में बदलाव करने से पहले, हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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