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येरबा सांता (एरियोडिक्टियन कैलिफ़ोर्निकम) – सांस की बीमारियों के लिए फ़ायदे, इस्तेमाल का तरीका, सावधानियां और साइड इफ़ेक्ट

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यर्बा सांता (Eriodictyon californicum) कैलिफोर्निया, ओरेगॉन और बाजा कैलिफोर्निया के शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में स्वतः उगने वाली एक सदाबहार झाड़ी है। स्पेनिश मिशनरियों ने इसे “hierba santa” अर्थात् “पवित्र जड़ी-बूटी” नाम दिया था क्योंकि इसके पत्तों का स्वाद हल्का मीठा होता है और यह श्वास-मार्ग की समस्याओं में बहुत तेजी से राहत देती है। स्थानीय अमेरिकी जनजातियाँ (चुमाश, मिवोक, योकुत आदि) इसे सैकड़ों वर्षों से सबसे शक्तिशाली कफ-निष्कासक (expectorant) मानती आई हैं।

आज भी अमेरिका और लैटिन अमेरिका की पारम्परिक चिकित्सा में जब बलगम बहुत गाढ़ा और चिपचिपा हो जाए तथा खांसी से न निकल पाए, तो यर्बा सांता को प्रथम पसंद माना जाता है।

यर्बा सांता किन-किन रोगों में लाभकारी है

परम्परागत उपयोग और आधुनिक फाइटोकेमिकल अध्ययनों के आधार पर यह मुख्य रूप से निम्न स्थितियों में दी जाती है:

  • साधारण जुकाम या फ्लू में गाढ़ी बलगम वाली खांसी
  • एक्यूट और क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस
  • अस्थमा (बलगम को पतला कर श्वास नली को थोड़ा खोलने में सहायक)
  • पुरानी साइनसाइटिस और बार-बार नाक बंद होना
  • गले की खराश, आवाज बैठना
  • COPD के शुरुआती-मध्यम चरण में सहायक चिकित्सा के रूप में
  • कुछ परम्परागत ग्रंथों में जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों के दर्द और कीड़े के काटने पर भी प्रयोग बताया गया है।

मुख्य सक्रिय तत्व: फ्लेवोनॉइड्स (एरियोडिक्टियोल, होमोएरियोडिक्टियोल, स्टेरुबिन), रेजिन, टैनिन और थोड़ी मात्रा में आवश्यक तेल। ये तत्व मिलकर बलगम को पतला करते हैं, श्वास नली में सूजन कम करते हैं और हल्का ब्रॉन्कोडाइलेटर प्रभाव देते हैं।

उपयोग की प्रमुख विधियाँ

चाय (सबसे सुरक्षित और आम विधि)

  • १–२ ग्राम सूखे पत्ते (लगभग १ छोटा चम्मच) को १५०–२०० मिली उबलते पानी में डालें।
  • १०–१५ मिनट ढककर रखें, छान लें।
  • दिन में २–३ बार, भोजन के बाद पियें।
  • शहद मिलाने से स्वाद और गले की जलन में और राहत मिलती है।

घर का बना यर्बा सांता सिरप

  • ३० ग्राम सूखे पत्ते ५०० मिली पानी में हल्का उबालें → छानें → ४०० ग्राम शहद या गुड़ मिलाकर गाढ़ा कर लें।
  • फ्रिज में रखें। १–२ छोटा चम्मच, दिन में ३–४ बार। २ साल से ऊपर के बच्चों के लिए भी उत्तम।

गाढ़ा काढ़ा (जब बलगम बहुत चिपचिपा हो)

  • ६–१० ग्राम पत्ते ४०० मिली पानी में उबालकर १०० मिली रहने तक पकाएँ।
  • दिन में २–३ बार पियें। लगातार ७–१० दिन से अधिक न लें।

टिंक्चर (१:५ अल्कोहल अर्क)

  • २–४ मिली (४०–८० बूंदें) थोड़े पानी में मिलाकर दिन में ३ बार। तुरंत असर के लिए उपयुक्त।

भाप सेंक (वाष्प श्वसन)

२ बड़े चम्मच पत्ते गर्म पानी की कटोरी में डालें, सिर पर तौलिया ओढ़कर १०–१५ मिनट भाप लें। साइनस और बंद नाक में बहुत लाभकारी।

सावधानियाँ और प्रतिबंध

  • गर्भावस्था और स्तनपान: पर्याप्त सुरक्षा डेटा न होने से बचें।
  • २ वर्ष से कम उम्र के बच्चे: अल्कोहल युक्त टिंक्चर या बहुत मीठा सिरप न दें; केवल बहुत हल्की चाय और वह भी चिकित्सक की देखरेख में।
  • पुराना दस्त या IBS के मरीज: सावधानी से लें क्योंकि रेजिन आंतों की गति बढ़ा सकता है।
  • मूत्रवर्धक दवाएँ (फ्यूरोसेमाइड, हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड) ले रहे हों तो पोटैशियम की कमी का खतरा बढ़ सकता है।
  • बिना रुकावट ४–६ हफ्ते से अधिक निरंतर उपयोग न करें।

संभावित दुष्प्रभाव और एलर्जी

सही मात्रा में लेने पर दुष्प्रभाव बहुत कम और हल्के होते हैं:

  • जी मिचलाना, पेट में भारीपन (खाली पेट या अधिक मात्रा में लेने पर)
  • हल्का दस्त या पतला मल (रेजिन के कारण)
  • कुछ लोगों में त्वचा पर खुजली या चकत्ते (Boraginaceae परिवार से एलर्जी होने पर)

गम्भीर एलर्जी के लक्षण (अत्यंत दुर्लभ): साँस लेने में तकलीफ, होंठ-चेहरे में सूजन, धड़कन तेज होना → तुरंत दवा बंद करें और अस्पताल जाएँ।

दवा अंतःक्रियाएँ

  • साल्बुटामॉल या थियोफिलिन जैसे ब्रॉन्कोडाइलेटर दवाओं का प्रभाव थोड़ा बढ़ सकता है।
  • शक्तिशाली मूत्रवर्धक दवाओं के साथ पोटैशियम की कमी का जोखिम बढ़ता है।

अच्छी क्वालिटी की यर्बा सांता कैसे चुनें

  • सूखे पत्ते हरे-भूरे रंग के, हल्की रेजिन की चमक लिए हुए और मीठी-तीखी सुगंध वाले हों।
  • भूरे-काले या फफूंद लगे पत्ते न लें।
  • काँच के जार में नमी और धूप से बचाकर रखें; १८–२४ महीने तक गुणवत्ता बनी रहती है।

निष्कर्ष

यर्बा सांता श्वास-मार्ग की उन समस्याओं के लिए विश्वसनीय और शक्तिशाली प्राकृतिक उपचार है जिनमें बलगम गाढ़ा और चिपचिपा हो जाता है। सही मात्रा और सही समय पर लेने से यह अत्यंत सुरक्षित है और अक्सर ४८–७२ घंटों में स्पष्ट राहत देती है। फिर भी गर्भवती महिलाएँ, छोटे बच्चे, दीर्घकालिक रोगी और जो लोग नियमित दवाएँ ले रहे हों, वे चिकित्सक या आयुर्वेदिक/हर्बल विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।

सन्दर्भ ग्रंथ एवं वेबसाइट

  1. Moore, Michael. Medicinal Plants of the Pacific West. Red Crane Books, 1993.
  2. University of Maryland Medical Center – Complementary and Alternative Medicine Guide: Yerba Santa
    https://www.umms.org/health/medical/altmed/herb/yerba-santa
  3. Mills, Simon & Bone, Kerry. Principles and Practice of Phytotherapy, 2nd Edition, Churchill Livingstone, 2013 (अध्याय: Eriodictyon californicum).

नोट: इस लेख में दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। कोई भी उपचार शुरू करने से पहले, खासकर हर्बल उपचार या जीवनशैली में बदलाव करने से पहले, हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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