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बोल्डो (Peumus boldus) – चिली की “लीवर रक्षक” जड़ी-बूटी: फैटी लीवर, पित्त की पथरी, कब्ज़ और भारी पेट का सबसे कारगर प्राकृतिक उपचार

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बोल्डो (Peumus boldus) चिली के एंडीज पर्वतों में उगने वाला एक सदाबहार वृक्ष है जो प्रकृति ने केवल दक्षिण अमेरिका को ही दिया है। हजारों साल से मापुचे आदिवासी इसे “यकृत की रक्षक औषधि” मानते आए हैं। 19वीं सदी में स्पेनिश चिकित्सकों ने इसे यूरोप पहुँचाया और आज यह जर्मनी, ब्राज़ील, चिली, अर्जेंटीना की आधिकारिक दवा-सूची में शामिल है। बोल्डो को पश्चिमी हर्बल चिकित्सा में सबसे शक्तिशाली हेपेटोप्रोटेक्टिव और कोलेरेटिक (पित्त-प्रवाह बढ़ाने वाला) पौधा माना जाता है।

बोल्डो किन-किन रोगों में काम आता है

परम्परागत उपयोग और आधुनिक शोध के अनुसार मुख्य लाभ:

  • फैटी लीवर (ग्रेड 1–2)
  • पित्त की थैली में छोटी कोलेस्ट्रॉल की पथरी (< 10 मिमी) – पत्थरों को घोलने और बाहर निकालने में मदद
  • पित्त का कम बनना → घी-तेल पचाने में तकलीफ, खाना खाने के बाद पेट भारी लगना
  • पुरानी कब्ज़ (आंतों की सुस्ती के कारण)
  • अपच, गैस, डकारें आना, मुहँ में कड़वापन
  • शराब या दवाओं से लीवर पर ज़्यादा बोझ पड़ने पर डिटॉक्स
  • हल्की यूरिन इन्फेक्शन में सहायक (मूत्रवर्धक और एंटीसेप्टिक गुण)

मुख्य सक्रिय तत्व:

  • बोल्डीन (boldine) 0.2–0.7 % – लीवर की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है
  • आवश्यक तेल (ascaridole, cineole)
  • फ्लेवोनॉइड्स और टैनिन

उपयोग की सबसे सुरक्षित और असरदार विधियाँ

बोल्डो की चाय (सबसे आम और सुरक्षित तरीका)

  • १–२ ग्राम सूखे पत्ते (लगभग १ छोटा चम्मच)
  • १५०–२०० मिली उबलते पानी में डालें, बर्तन ढकें, १०–१५ मिनट बाद छान लें
  • दिन में १–२ कप, खाना खाने के २०–३० मिनट बाद
  • स्वाद हल्का कड़वा-सुगन्धित होता है; शहद मिला सकते हैं।

हल्का काढ़ा

  • २–४ ग्राम पत्ते ३०० मिली पानी में ५ मिनट उबालें → १०० मिली रहने तक → दिन में २ बार गुनगुना पियें
  • छोटी पथरी या पित्त की रुकावट में ज़्यादा असरदार।

टिंक्चर (१:५ या १:१०)

  • २–५ मिली (४०–१०० बूंदें) गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में २–३ बार, खाने के बाद।

कैप्सूल/टैबलेट

  • २००–४०० मिलीग्राम सूखा अर्क (बोल्डीन ०.०५–०.१ %) दिन में १–२ बार
  • अधिकतम ४–६ हफ्ते लगातार, फिर कम से कम १५ दिन का गैप।

बहुत ज़रूरी सावधानियाँ और पूर्ण प्रतिबंध

  • गर्भावस्था और स्तनपान: बिल्कुल वर्जित (बोल्डीन गर्भाशय को उत्तेजित कर सकता है)
  • पित्त की नली पूरी तरह बंद हो, बड़ी पथरी (> १ सेमी), एक्यूट कोलेसिस्टाइटिस या पैनक्रियाटाइटिस: कभी न लें – पित्त का दबाव बढ़ने से तेज़ दर्द हो सकता है
  • १२ साल से कम उम्र के बच्चे: केवल डॉक्टर की सलाह पर और आधी से भी कम मात्रा
  • खून पतला करने की दवा (वारफारिन, एस्पिरिन, क्लोपिडोग्रेल) ले रहे हों: बिना डॉक्टर के न लें
  • एक्टिव अल्सर या एसिडिटी बहुत ज़्यादा हो: सावधानी से लें

संभावित दुष्प्रभाव और एलर्जी

सही मात्रा में लेने पर दुष्प्रभाव बहुत कम:

  • जी मचलना या पेट में जलन (खाली पेट लेने पर)
  • अगर ४ ग्राम से ज़्यादा रोज़ लें तो हल्का दस्त
  • कभी-कभी हल्का सिरदर्द या चक्कर
  • बहुत दुर्लभ: त्वचा पर खुजली या लाल चकत्ते

खतरा केवल तभी जब कोई शुद्ध आवश्यक तेल (ascaridole) बहुत ज़्यादा मात्रा में ले:

  • ऐंठन, दौरे, लीवर को नुकसान → तुरंत अस्पताल। (पत्तियों से यह खतरा नहीं होता)

दवा अंतःक्रियाएँ

  • अन्य पित्त बढ़ाने वाली जड़ी (आर्टिचोक, हल्दी) के साथ असर बढ़ जाता है
  • वारफारिन लेने वालों का INR बढ़ सकता है
  • बहुत लम्बे समय तक बहुत ज़्यादा मात्रा से ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव की प्रभावकारिता कम हो सकती है

अच्छी क्वालिटी का बोल्डो कैसे चुनें

  • सूखे पत्ते गहरे हरे रंग के, चमकदार, पुदीना-दालचीनी जैसी खुशबू वाले हों
  • भूरे-काले या फफूंद लगे न लें
  • काँच या धातु के डिब्बे में धूप-नमी से बचाकर रखें – २४–३० महीने तक गुण रहते हैं

निष्कर्ष

बोल्डो प्रकृति का दिया हुआ सबसे बेहतरीन लीवर टॉनिक और पाचन सुधारक है। सही तरीके से ७–१० दिन लेने पर पेट हल्का, भूख बढ़ती है, त्वचा साफ होती है और लीवर के टेस्ट में सुधार दिखता है। लेकिन यह बहुत सक्रिय जड़ी है – गर्भवती महिलाएँ, बड़ी पथरी वाले, खून पतला करने की दवा लेने वाले कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के न लें। हमेशा खाने के बाद लें, छोटी मात्रा से शुरू करें और ६ हफ्ते से ज़्यादा लगातार न लें।

सन्दर्भ

  1. Speisky H., Cassels B.K. Boldo and boldine: an updated review on pharmacological properties. Pharmacological Research, 1994.
  2. European Medicines Agency – Assessment report on Peumus boldus Molina, folium (2012)
    https://www.ema.europa.eu/en/documents/herbal-report/final-assessment-report-peumus-boldus-molina-folium_en.pdf
  3. Instituto de Salud Pública de Chile – Monografía Boldo
    https://www.ispch.cl/sites/default/files/documento/2018-07/Monografia-Boldo.pdf

नोट: इस लेख में दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। कोई भी उपचार शुरू करने से पहले, खासकर हर्बल उपचार या जीवनशैली में बदलाव करने से पहले, हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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