पिप्सिसेवा (वैज्ञानिक नाम: Chimaphila umbellata) एरिकेसी (Ericaceae) परिवार की एक छोटी सदाबहार झाड़ी है जो कनाडा, अमेरिका के उत्तरी भाग, साइबेरिया और उत्तर यूरोप के ठंडे शंकुधारी जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगती है। भारत में यह अभी बहुत कम जानी जाती है और मुख्य रूप से आयातित रूप में उपलब्ध होती है।
इसके पत्ते चमकदार, गहरे हरे, चमड़े जैसे मोटे और नुकीले होते हैं। गर्मियों में गुलाबी-सफेद छोटे फूल छत्राकार गुच्छों में खिलते हैं। दवा के रूप में पौधे का ऊपरी भाग (पत्तियाँ और कोमल तना) इस्तेमाल किया जाता है।
उत्तर अमेरिकी रेड इंडियन जनजातियाँ (Cree, Ojibwe, Iroquois) इसे “पत्थर तोड़ने वाली जड़ी” कहती थीं क्योंकि यह छोटी-छोटी किडनी स्टोन को आसानी से बाहर निकाल देती है।
पिप्सिसेवा किन-किन बीमारियों में लाभ पहुँचाती है?
- मूत्रमार्ग संक्रमण (UTI) – पेशाब में जलन, बार-बार पेशाब आना, सिस्टाइटिस
इसमें 1.5–2% तक आर्बुटिन (arbutin) होता है जो शरीर में हाइड्रोक्विनोन में बदलकर मूत्र में बैक्टीरिया (खासकर E. coli) को मारता है। - किडनी और मूत्रनली की पथरी (छोटी पथरी < 6 mm)
यह शक्तिशाली मूत्रवर्धक है – दिन में पानी की मात्रा बढ़ाकर पथरी को बाहर निकालती है और नई पथरी बनने से रोकती है। - शरीर में पानी जमना (एडिमा) – पैरों, चेहरे या पूरे शरीर की सूजन
हल्की हृदयगति कमजोरी, किडनी की कमजोरी या मासिक धर्म से पहले की सूजन में बहुत लाभकारी। - यूरिक एसिड बढ़ना और गाउट (वातरक्त)
यूरिक एसिड को तेजी से मूत्र के साथ बाहर निकालती है, जिससे जोड़ों का दर्द और सूजन कम होती है। - पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि की पुरानी सूजन और बढ़ना (Benign Prostatic Hyperplasia – BPH)
रात में बार-बार पेशाब जाना, धार कमजोर होना, पेशाब पूरा न उतरना – इन सबमें पुरानी यूरोपीय और अमेरिकी चिकित्सा में इसका बहुत प्रयोग होता है। - पुरानी त्वचा रोग – खुजली वाले एग्ज़िमा, पुराने घाव जो भरते नहीं
बाहर लगाने से त्वचा को सुखाती और कीटाणुनाशक का काम करती है।
सुरक्षित उपयोग कैसे करें?
- चाय (सबसे आम और सुरक्षित तरीका)
- 1–2 ग्राम सूखी पत्तियाँ (लगभग 1 छोटी चम्मच) को 200 мл गर्म पानी में 10–15 मिनट तक उबालें या भिगोएँ
- दिन में 2–3 कप पिएँ
- अधिकतम 4–6 हफ्ते लगातार, फिर कम से कम 15 दिन का अंतराल
- टिंक्चर (आयातित शराबी अर्क)
- 30–50 बूंदें दिन में 3 बार पानी में मिलाकर
- बहुत तेज असर करता है, इसलिए कम मात्रा से शुरू करें
- कैप्सूल/टैबलेट (मानकीकृत अर्क)
- 200–400 мг दिन में 2 बार (जिनमें कम से कम 1% आर्बुटिन हो)
- बाहर लगाने के लिए
- 10 ग्राम पत्तियाँ 200 мл पानी में 10 मिनट उबालें → ठंडा करके घाव धोएँ या पट्टी भिगोएँ
दुष्प्रभाव और सावधानियाँ
दुष्प्रभाव
- अधिक मात्रा में: जी मिचलाना, उल्टी, पेट में ऐठन (टैनिन के कारण)
- पेशाब का रंग हरा-नीला हो जाना (हानिरहित, सामान्य प्रतिक्रिया)
- कभी-कभी चक्कर आना या दिल की धड़कन तेज होना
पूरी तरह वर्जित है
- गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान
- 12 साल से कम उम्र के बच्चों में
- पेट के अल्सर या तेज एसिडिटी वाले रोगियों में
- जो लोग फ्यूरोसेमाइड, हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड जैसे तेज मूत्रवर्धक दवा ले रहे हैं
- लिथियम (बाइपोलर डिसऑर्डर की दवा) लेने वाले मरीजों में (पिप्सिसेवा लिथियम को तेजी से बाहर निकाल देती है)
एलर्जी
यह एरिकेसी परिवार की है। जिन्हें बेयरबेरी, ब्लूबेरी, रोडोडेंड्रोन या आंवला से एलर्जी है, उन्हें क्रॉस-एलर्जी हो सकती है – खुजली, लाल चकत्ते या साँस की तकलीफ।
महत्वपूर्ण सलाह
- हमेशा सबसे कम मात्रा से 2–3 दिन शुरू करें
- दिन में कम से कम 2–2.5 लीटर पानी जरूर पिएँ
- 6 हफ्ते से ज्यादा लगातार कभी न लें
- अगर किडनी स्टोन या गाउट की एलोपैथिक दवा चल रही हो तो डॉक्टर से पूछकर ही लें
पिप्सिसेवा आज भी उत्तर अमेरिका और यूरोप में सबसे विश्वसनीय मूत्रमार्ग एवं पथरी की जड़ी-बूटी मानी जाती है। भारत में यह अभी नई है, लेकिन जो लोग इसे सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं, वे इसके चमत्कारिक परिणामों की तारीफ करते नहीं थकते।
स्रोत एवं संदर्भ
- British Herbal Pharmacopoeia 1983 – Chimaphila umbellata monograph
https://www.ex.ac.uk/herbalmedicine/bhp1983.pdf (पृष्ठ 58-59) - Expanded Commission E Monographs (German Health Authority approved) – Prince’s Pine
https://www.herbalgram.org/resources/commission-e-monographs/ - ESCOP Monographs – Chimaphilae herba (European Scientific Cooperative on Phytotherapy), 2003
नोट: इस लेख में दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। कोई भी उपचार शुरू करने से पहले, खासकर हर्बल उपचार या जीवनशैली में बदलाव करने से पहले, हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।




